असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का दशहरा या विजय दशमी

                                   विजयदशमी 


असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का दशहरा  या विजय दशमी का पर्व 15 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। जानकार बताते हैं कि यह पर्व हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। धार्मिक कथाओं के मुताबिक, इस दिन भगवान राम ने अत्याचारी रावण का वध किया था। इसके साथ मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत करके बुराई पर अच्छाई के जीत का परचम लहराया था। भक्त इस दिन  मां दुर्गा तथा भगवान श्री राम की पूजा-आराधना करते हैं। माना गया है इस दिन मां दुर्गा तथा भगवान श्री राम की पूजा-आराधना करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। इस दिन रावण का पुतला जलाने का विधान है। ऐसा करके भक्त अपने अवगुणों को जीवन से बाहर करते हैं। 


दशहरा एवं विजयदशमी पूजा

इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए. मां दुर्गा के पूजन से मां आदिशक्ति की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली विषमताएं, परेशानियां, कष्ट और दरिद्रता का नाश होता है और विजय प्राप्त होती है. भगवान श्रीराम की पूजा करने से धर्म के मार्ग पर चलने वालों को विजय प्राप्त होती है, इसकी प्रेरणा मिलती है. इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है. नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है.

पूजा विधि

इस दिन चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाकर उस पर भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद हल्दी से चावल पीले करने के बाद स्वास्तिक के रूप में गणेश जी को स्थापित करें. नवग्रहों की स्थापना करें. अपने ईष्ट की आ विधि राधना करें ईष्ट को स्थान दें और लाल पुष्पों से पूजा करें, गुड़ के बने पकवानों से भोग लगाएं. इसके बाद यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें और गरीबों को भोजन कराएं. धर्म ध्वजा के रूप में विजय पताका अपने पूजा स्थान पर लगाएं. ये विजय दशमी का पर्व प्रेरणा देता है, कि हमें धर्म, अनीति के खिलाफ लड़ना चाहिए. 


श्रीराम ने लिया शक्ति पूजा का व्रत 

रचना का मजमून यह है कि श्रीराम ने वानर दलों के साथ लंका पर हमला बोल दिया है. अब राम-रावण युद्ध जारी है और इसी दौरान आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की तिथियों का समय है. युद्ध से पहले हर दिन श्रीराम देवी दुर्गा की आराधना करते हैं. देवी एक स्वरूप प्रृकृति का है और दूसरा पार्वती का, पार्वती शिवप्रिया हैं और प्रकृति स्वयं धरती हैं. नौ दिन तक चला राम का अनुष्ठान दसवें दिन यानी दशमी को फलीभूत होता है और रावण मारा जाता है. 


शुभ योग का समय

दशमी तिथि 14 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 52 बजे से प्रारंभ होगी, जो कि 15 अक्टूबर 2021 को शाम 06 बजकर 02 बजे समाप्त होगी। वहीं, श्रवण नक्षत्र 14 अक्टूबर 2021 की सुबह 09 बजकर 36 पर आरंभ होगा। यह नक्षत्र 15 अक्टूबर 2021 सुबह 09 बजकर 16 म‍िनट पर समाप्‍त होगा। 15 अक्टूबर को पूजन का समय दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

Post a Comment

Previous Post Next Post