"होली: भारत का सबसे रंगीन और उत्सवपूर्ण उत्सव"




होली पर्व हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भारत में फाल्गुन माह के शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दो दिन का पर्व होता है, जिसमें पहले दिन होलिका दहन मनाया जाता है और दूसरे दिन होली खेली जाती है। होली भारत में सबसे धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। होली के अवसर पर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ रंग-बिरंगे गुलाल, पानी और अन्य रंगों के साथ खेलते हैं। यह त्योहार एक उत्साहपूर्ण और रंगीन माहौल बनाता है।
भारत में होली 2023 की तारीख 8 मार्च 2023 को होगी। इस दिन सभी लोग घरों से निकलते हैं और एक दूसरे को रंगों से रंगते हुए खुशी से नाचते हैं। यह त्योहार समूचे भारत में बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है, चाहे वह उत्तर भारत हो या फिर दक्षिण भारत। इस त्योहार के दौरान लोग एक दूसरे को गुलाल फेंकते हैं, मिठाई खाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियां बांटते हैं।
इस त्योहार को मनाने के अलावा, होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन लोग अपने दुश्मनों से माफ कर देते हैं और होली का  दिन रंग-बिरंगे धुले, पिचकारियाँ, गुजियां और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ मनाया जाता है।

होलिका दहन का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन लोग होली के लिए लकड़ी के ढेरों को लगाकर उन्हें जलाते हैं। इस रीति और परंपरा के पीछे एक कथा है, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है। इस कथा के अनुसार, होलिका नाम की एक राक्षसी थी जो अपने भाई के साथ मिलकर बच्चे प्रह्लाद को मारने की साजिश रची थी। प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे और वे उनकी रक्षा में थे। होलिका ने प्रह्लाद को उसकी मां के आदेश के विरुद्ध आग में डाला था, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद सलामत रहे थे, जबकि होलिका आग में जलकर मर गई। इस घटना को याद करते हुए होलिका दहन का उत्सव मनाया जाता है।


शुभ मुहूर्त:

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च, 2023 को शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा और इस दिन भद्रा सुबह 5 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।




होलिका माई की पूजा विधि:

1. सूर्योदय के समय सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें।
2. स्नान के बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण करें।

3. होलिका दहन वाले स्थान पर जाएं और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।

4. गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।

5. हाथ धोकर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें।

6. रोली, अक्षत, फूल, माला, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना, चना आदि एक-एक करके अर्पित करें।

7. भगवान नरसिंह की पूजा भी करें।

8. होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें।

9. सुख-समृद्धि की कामना करें।

10. होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या फिर चावल जरूर डालें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

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