भगवान विष्णु और महालक्ष्मी को समर्पित है रमा एकादशी व्रत

                                रमा एकादशी


रमा एकादशी का महत्व कई गुना ज्यादा माना गया है. रमा एकादशी अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक फलदाई मानी गई है. जो भी व्यक्ति ये व्रत करता है उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

रमा एकादशी 2021

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. रमा एकादशी व्रत 1 नवंबर 2021 को रखा जाएगा इस एकादशी के दिन मां लक्ष्मीजी के रमा स्वरूप के साथ भगवान विष्णु के पूर्णावतार की पूजा होती है. धार्मिक मान्यता है कि रमा एकदशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु और देवी मां लक्ष्मीजी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. सभी प्रकार के दुख और पाप नष्ट हो जाते हैं. इनकी विधि पूर्वक पूजा करने से धन से जुड़ी परेशानी एवं कर्ज आदि की समस्या से मुक्ति मिल जाती है.


रमा एकादशी क्यों इतना महत्वपूर्ण

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है रमा एकादशी का नाम भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी के नाम पर है। माता लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है। इस पावन एकादशी के बारे में मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने वालों श्रद्धालुओं पर भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है और व्रती को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। अंत में वह सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।


रमा एकादशी पूजा विधि

रमा एकादशी का व्रत दशमी की संध्या से ही आरंभ हो जाता है। दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले ही भोजन ग्रहण कर लेना चाहिये। इसके बाद एकादशी के दिन प्रात: काल उठकर स्नानादि कर स्वच्छ होना चाहिये। इस दिन भगवान विष्णु के पूर्णावतार भगवान श्री कृष्ण की विधिवत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प एवं फलों से पूजा की जाती है। रमा एकादशी व्रत का पारण द्वादशी की तिथि पर किया जाएगा. इस दिन व्रत की कथा का पाठ करना शुभ फलदायी माना गया है.इस दिन तुलसी पूजन करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा एवं भक्ति से किये उपवास पुण्य चिरस्थायी होता है और भगवान भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते 

पूजा शुभ मुहूर्त

सुबह की पूजा का मुहूर्त – सुबह 5 बजकर 22 मिनट से 6 बजकर 41 मिनट तक। शाम की पूजा का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 29 मिनट से 6 बजकर 48 मिनट तक।


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