छोटी दीवाली या नरक चतुर्दशी महत्त्व

  नरक चतुर्दशी \ छोटी दीवाली

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दिवाली होती है इसे नरक चतुर्दशी भी कहते है। इस साल छोटी दिवाली 3 नवंबर को मनाई जाएगी।  छोटी दीवाली के दिन घर के नरक यानी गंदगी को साफ किया जाता है, जहां सुंदर और स्वच्छ प्रवास होता है, वहां लक्ष्मी जी आगमन करती हैं। इस दिन लंबी आयु के लिए घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परंपरा है। आज की रात जब घर के सभी सदस्य आ जाते हैं तो गृह स्वामी यम के नाम का दीपक जलाते हैं

नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीवाली के दिन कई घरों में इस दिन रात को एक दीया जलाकर पूरे घर में घुमाते है, और फिर उसे ले कर घर से बाहर कहीं दूर रख देते हैं यह दीया यम का दीया कहलाता है। माना जाता है कि पूरे घर में इसे घुमाकर बाहर ले जाने  से घर के पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं और सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं,

नरकासुर का वध 


श्री कृष्ण की 16 हजार पट रानियां 

नरक चतुर्दशी कथा

इस रात दीये जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं। एक कथा के अनुसार माना जाता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, साथ ही उसके बंदी ग्रह में कैद 16 हजार स्त्रियां को मुक्त करवाया था, बाद में ये सभी स्त्री भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार पट रानियां के नाम से जानी जाने लगी.

 दूसरी कथा

रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए। 

यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है।

यह सुनकर यमदूत ने कहा कि हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक बार एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था,यह उसी पापकर्म का फल है। इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष समय मांगा। तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय पूछा। 
 
तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। 
 
इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।

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