चैत्र नवरात्रि चौथा दिन 5 अप्रैल 2022 मंगलवार को है. इस दिन मां दुर्गा का चौथा रूप मां कुष्मांडा को समर्पित है. इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है. मां की मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारंण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है. कुष्मांडा का अर्थ होता है कूम्हडे और मां को कूम्हडे की बलि अति प्रिय है, इसी के कारण मां को कुष्मांडा नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी, तो हर जगह अंधकार था और ना ही कोई जीव-जंतु था, तब मां कुष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी. मां कुष्मांडा में ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त थी, क्योंकि उदर से अंड तक माता अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, इन्हीं के तेज और प्रभाव से दसों दिशाओं को प्रकाश मिलता था. कहते हैं कि सारे ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज है वो देवी कूष्मांडा की देन है.
मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा का स्वरूप अलौकिक है. मां का स्वरूप मंद मंद मुस्कुराहट वाला है. कहा जाता है कि अपनी इसी मंद मुस्कुराहट से उन्होंने सृष्टि की रचना की थी. इनको आदि-शक्ति और आदि-स्वरूपा भी कहां जाता है. माना गया है मां कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में माना गया है, वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल देवी के इसी स्वरूप में है. मां के शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं. मां कुष्मांडा को नारंगी अति प्रिय है. मां कुष्मांडा देवी के आठ हाथ है, सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है, वहीं आठवें हाथ में जपमाला है, जिसे सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली माना गया है. मां का वाहन सिंह है.
मां कुष्मांडा की आराधना से सभी रोग नष्ट हो जाते हैं. मां का हृदय बहुत कोमल है, इसलिए मां अपने भक्तों पर हमेशा कृपा करती है. मां लक्ष्मी का भी स्वरूप है, इसलिए इनकी आराधना से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. मां कुष्मांडा की पूजा करने से हृदय को शांति मिलती है और मन नहीं भटकता. कहा गया है कि, मां की सच्चे मन से की गई आराधना से मां अतिशीघ्र कृपा करती है, इनकी पूजा से रोग, पाप, भय सब दूर हो जाते हैं. मां की भक्ति से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है. मां कूष्मांडा को दही और हलवे का भोग लगाया जाता है. भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य करें.
या देवी सर्वभूतेषु
मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नम:।।
अनुभवी ज्ञान
(जो भक्त पूरे विधि विधान से माता की पूजा करने में असमर्थ हो, वह सच्चे मन से इस मंत्र का जाप करें और मां की प्रतिमा के सामने घी का दीपक दिखाएं, अगर अगर मां कुष्मांडा देवी की प्रतिमा ना हो तो दुर्गा माता की फोटो या प्रतिमा की आराधना करें. मां को सच्चे मन से की गई आराधना अति प्रिय है, इसलिए उनकी कृपा अवश्य होगी, यह मैं खुद के अनुभव से कह रही हूं, क्योंकि मैंने भी ऐसा ही किया था, शारदीय नवरात्रि में मैंने 9 दिन तक मां की सच्चे मन से आराधना की और दसवे दिन जो विजयदशमी का दिन मां ने मुझे नया जीवनदान दीया मेरी श्रद्धा उसी दिन से मां पर अटूट हो गई.)