चैत्र नवरात्रि के अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा करने का विधान है, जो की 9 अप्रैल 2022 शनिवार को मनाया जाएगा. भागवत के अनुसार मां के नौ रूप सभी आदि शक्ति स्वरूप है, लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में मां महागौरी सदैव विराजमान रहती है. पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी. मां का यह रूप फलदायिनी है. चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का बहुत ही विशेष महत्व है, कई भक्त इस दिन अष्टमी तिथि को कन्या का पूजन करते हैं और व्रत खोलते हैं और कुछ भक्त नवमी को कन्या का पूजन करते हैं, माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है. मां महागौरी की आराधना से मस्तिक शांति मिलती है, खासकर कुंवारी लड़कियां अगर मां की सच्चे मन से आराधना करें तो अच्छा घर वर प्राप्त होता है,
अष्टमी कन्या भोज
भक्त मां दुर्गा के नौ रूप की उपासना और आराधना करते हैं अष्टमी अथवा नवमी को नौ कन्या और एक लड़का को पूजन कर उन्हें भोजन करा कर अपनी व्रत को पूर्ण करते हैं. कन्या भोजन बहुत ही आवश्यक होता है इसके बिना पूजा और उपासना संपूर्ण नहीं होती. क्या, आपको यह बात पता है कि नौ कन्या के साथ एक लड़का क्यों पूजा जाता है, नौ कन्या मां के दुर्गा के नौ स्वरूप माना जाता है, और लड़का जिसे लंगूर कहां जाता है वह हनुमान जी का ही स्वरूप होता है. जिस तरह कन्या का पूजन किया जाता है उसी तरह लड़के का भी पूजन करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं कुछ जगह लड़के को बटुक भी कहा जाता है. मां की उपासना और कन्या का भोजन कराने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती.
मां महागौरी का स्वरूप
भागवत कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं, तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं, तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा. महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती है. देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं महागौरी को हलवा का भोग लगाना चाहिए, मान्यता है कि माता रानी को काले चने प्रिय हैं. मां महागौरी देवी गौरी का वाहन बैल है.
“सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”।