Chhath puja 2021: खरना छठ पूजा का दूसरा दिन जानिए इसका महत्व

 


छठ पूजा बिहार का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, यह बहुत कठिन व्रत में से एक है जिसे पूरे रीति रिवाज से साथ मनाया जाता है जाता है अगले आर्टिकल में हमने पहला दिन नहाए खाए के बारे में बताया है नहाए खाए के दिन व्रती महिलाएं स्नान करके प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण करती है दूसरे दिन खरना की शाम को पूजा किया जाता है पूरी और खीर का प्रसाद बनता है हमारे मिथिलांचल में रोटी और खीर का प्रसाद बनती है इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. इस साल 9 नवंबर को खरना का पर्व मनाया जाएगा


कैसे की जाती है खरना की पूजा 

खरना का व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को प्रसाद तैयार होने के बाद व्रती पूजा पर बैठते हैं. इस दौरान खीर के अलावा रोटी और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है. खरना के दिन व्रती साफ मन से अपने कुलदेवता और छठ मैय्या की पूजा करते हैं। साथ ही गुड़ से बनी खीर का प्रसाद भी अर्पित करते हैं। जिन लोगों का अपना छठ पावन होता है वह व्रती महिला को खरना के दिन चावल दूध गुड़ या चीनी आटा देते हैं पूजा करने के लिए ,पूजा करने के बाद इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं और फिर इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. पूजा करने के बाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के दौरान घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना होता है.  मान्यता है कि शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर बीपी है. पूजा का प्रसाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के  अन्य लोगों में बांटा जाता है और परिवार उसके बाद प्रसाद ग्रहण करता है. तीसरा  दिन शाम को सूर्य भगवान को पहला अर्घ्य दीया जाता है


व्रत की सावधानियां क्या हैं ?

ये व्रत अत्यंत सफाई और सात्विकता का है. इसमें कठोर रूप से सफाई का ख्याल रखना चाहिए. घर में अगर एक भी व्यक्ति छठ का उपवास रखता है तो बाकी सभी को भी सात्विकता और स्वच्छता का पालन करना पड़ेगा. व्रत रखने के पूर्व अपने स्वास्थ्य की स्थितियों को जरूर देख लें. इस पूजा का बहुत महत्व है यह पूजा संतान पाने के लिए संतान के सुख के लिए, उसे बीमारियों से बचने के लिए और लंबी उम्र के लिए पूजा की जाती है


Post a Comment

Previous Post Next Post