छठ पूजा बिहार का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है छठ पूजा 4 दिन का त्योहार है पहला दिन नहाए खाए के साथ शुरू होता है जिसमें व्रती महिलाएं स्नान करके भोजन के रूप में प्रसाद ग्रहण करती है दूसरा दिन खरना मनाया जाता है जिसमें व्रती महिलाएं नए चूल्हे पे खीर और रोटी बनाती है और अपने कुलदेवता और छठ मैया की पूजा करते हैं तीसरा दिन सूर्य भगवान को पहला अर्घ्य देती है
सूर्य भगवान को पहला अर्घ्य
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि में छठ पूजा मनाया जाता है. 10 नवंबर 2021 को पहला अर्घ्य दिया जाएगा जिसमें व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करती हैं। शाम के समय नए वस्त्र धारण कर अपने माथे पर सिंदूर नाक तक लगाती हैं और परिवार संग किसी नदी या तलाब पर पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं। नदी या तालाब के घाट को अच्छी तरह से सजाया जाता है लोग नए कपड़े पहनते हैं और इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं शहर में भी छठ पूजा काफी जगह पर होता है कहीं पर तो रास्तों को अच्छी तरह से साफ कर फूल बिछाए जाते हैं ताकि छठ पूजा में जाने वाले यात्री को कोई तकलीफ ना हो उसे बेहतर सुविधा दी जाती है ताकि वह घाट पहुंच सके और पूजा कर सके यह छठ पूजा विदेश में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है वहां टप पर पानी भर लिया जाता है और उसमें खड़ी होकर भगवान सूर्य को अर्जित देती है व्रती महिलाएं, हमारे संस्कार चाहे कितनी भी दूर हो पर हमें उससे दूर कभी नहीं होना चाहिए
ठेकुआ छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद होता है
गन्ना छठ पूजा में विशेष महत्व रखता है छठ मैया को गन्ना सबसे प्रिय है
छठ पूजा के प्रसाद में नारियल को भी शामिल किया जाता है
केला भी सबसे महत्वपूर्ण है छठ पूजा में
डाभ नींबू भी छठ पूजा के प्रसाद में शामिल किया जाता है
छठ पूजा के प्रसाद में पीरकया, मिठाई, सांच, पुआ और तरह-तरह की प्रसाद बनाए जाते हैं
छठ पूजा में सबसे अहम एक और चीज होता है जिसे कहते हैं भूशवा जो चावल के आटे और गुड से बनाया जाता है और तरह-तरह के प्रसाद बनते हैं
छठ पूजा का तीसरा दिन सूर्य भगवान को पहला अर्घ्य दिया जाता है और तरह तरह की मिठाईयां और प्रसाद बनती है