मेरा दूसरा Blog: मेरे महादेव के साथ बिताए हुए कुछ पल

 

मनमोहक महादेव फोटो

आज मैं फिर से अपना एक दूसरा ब्लॉग लिख रही हूं, यह ब्लॉग महाशिवरात्रि के दिन मेरे और महादेव के साथ बिताए हुए कुछ पल है,  जो मैं आप सबसे साथ में साझा चाहती हूं. मैंने अपने पहले ब्लॉग में नरक निवारण चतुर्दशी के दिन अपनी दिनचर्या आप सबको बताइ है. इस बार फिर से अपने दूसरे ब्लॉग में महाशिवरात्रि की दिनचर्या आप सब को बताना चाहती हूं. महाशिवरात्रि का दिन मेरे भोले नाथ, मेरे महादेव, मेरे आराध्य का दिन होता है, कहा जाता है कि महाशिवरात्रि का दिन महादेव को बहुत प्रिय है. इस दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था.

महाशिवरात्रि के दिन में सुबह उठी और जैसा कि मैंने पहले ब्लॉक में बताया था कि मैं व्रत के समय सिर्फ चाय पीती हूं, इस दिन  भी मैं सुबह उठकर अपनी नित्य क्रिया कर और चाय का कप हाथ में लेकर मैं यह सोचने लगी की मैंने कभी गांव की मेला नहीं देखा है, शहर का मेला तो मैं देख चुकी हूं, मगर गांव का मेला मैंने कभी भी नहीं देखा इसका कारण यही है कि मैं गांव में नहीं रहती हूं, इस बार मैं गांव में हूं तो इस बार मेरी इच्छा गांव के मेले देखने की हुई, लेकिन मैं कभी भी अपनी इच्छा किसी को नहीं बताती और चुप रहती हूं,और मैं उस दिन भी अपनी इच्छा अपने मन में दबाकर चुप रह गई,  मैं फिर उसी  महादेव के मंदिर जाने वाली  थी जिसके बारे में मैंने पहले ब्लॉग में बताया था, वह मंदिर जो मुझे हमेशा अपनी ओर खींचते हैं, स्नान करके मैं मंदिर की ओर चली गई और उस मंदिर में जाते ही मेरा मन बावला हो गया.  मैं पूरे मन से उनकी पूजा करने लगी, इस बार मैंने महादेव से अपने लिए कुछ मांगा,  फिर कुछ देर बाद मैं उनके किए गए उपकार सोचने लगी, यह सोचने लगी  कि उन्होंने मेरे लिए कितना कुछ किया है, मुझे एक बहुत बड़े नर्क से निकाला है. जहां किसी का बचना नामुमकिन होता है, वहां मुझे एक नई जिंदगी मिली है.  आज मैं जो भी हूं बस उनकी वजह से हूं. मेरे लिए मांगने को क्या  शेष रह जाता है, फिर भी मैंने इस बार सच्चे मन से अपने लिए कुछ मांगा है  और पूरी लगन के साथ महादेव की पूजा करने लगे और फिर अपनी पूजा संपूर्ण होने के बाद मेरी इच्छा उनकी तस्वीर लेने की हुई मगर मेरे महादेव जी ने मुझसे हट खेल करने लगे, हुआ यह कि जब मैं अपना मोबाइल का कैमरा ऑन किया तब वह ऑन नहीं हो रहा था पता नहीं कैमरा का ऐप नहीं चल रहा था लेट होने के कारण मुझे लगा कि अब मैं महादेव का फोटो नहीं ले पाऊंगी, लेकिन मैंने भी महादेव के साथ हट खेल किया और कहा जब तक मैं तस्वीर ना लूंगी तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगी पर ऐसा कहते ही मेरा कैमरा ऑन हो गया, मेरे महादेव को भी लगा कि मैं बहुत जिद्दी हूं. महादेव की तस्वीर लेने के बाद जैसा कि मेरा उस मंदिर से जाने का मन नहीं होता है लेकिन मुझे घर जल्दी जाना था तो मैं अपने घर जल्दी चली गई. 



मौसम भी बहुत अच्छा था जैसे ही मैं अपने घर पहुंची मेरे घर में मेला घूमने की बातें होने लगी यह सब सुन मुझे ऐसा लगा जैसे महादेव ने मेरे मन की बात सुन ली मेरे महादेव की बात ही बड़ी निराली है और मुझे यह एहसास ही नहीं हुआ कि मैं उपवास की हूं. और कुछ देर बाद हम गाड़ी से निकले वहां, जहां-जहां महादेव की मंदिर थे. उन छोटे-छोटे मंदिर में दर्शन किए और फिर देकुली महादेव मंदिर जहां मेला लगता है वहां पहुंचे और वहां के महादेव जो बहुत ही प्रचलित है उनके दर्शन किए और फिर वहां हमने बहुत इंजॉय किया मेरे लिए हर मंदिर लुभावना रहता है, और महादेव के मंदिर मेरे लिए सर्वप्रथम मोहक होता है, घूमने के बाद हमें व्रत का अनुभव बिल्कुल ना हुआ और शाम हो गई हमारे यहां शाम को पारन किया जाता है मगर कुछ जगह शाम को नहीं दूसरे दिन पारण किया जाता है. लेकिन हमें शाम को पारण करना था.  एक बड़ी ही अजीबोगरीब बातें जो सुनकर आपके चेहरे पर जरूर स्माइल आएगी, मैंने अपना व्रत आइसक्रीम के साथ खोला आइसक्रीम मुझे बहुत ही ज्यादा प्रिय लगती है. शायद इसीलिए महादेव ने मुझे आइसक्रीम खाकर व्रत खोलने का अवसर दीया, मेरे महादेव मेरा कितना ख्याल रखते है, उसके बाद हम वापस घर को आ गए और वहां अच्छे-अच्छे पकवान बनाए और पारण किया और महाशिवरात्रि का यह दिन मेरे लिए बहुत यादगार बन गया. महादेव के लिए मेरी श्रद्धा उनके चमत्कारों से और गहरा हो जाता है, यह कोई पहली बार नहीं था, मैं कई बार महादेव के चमत्कार से परिचित हुई हूं. महादेव ने कई बार मुझे नई जिंदगी दी है, उनके चमत्कार की व्याख्या मैं नहीं कर सकती लेकिन मैं कुछ पल साझा जरूर कर सकती हूं आप सबके साथ. आशा है कि मेरा यह ब्लॉग आप सबको पसंद आया होगा  मेरे जीवन में जो महादेव ने चमत्कार किए हैं उनको मैं जरूर अपनी इस ब्लॉग में डालूंगी फिलहाल अभी मैं आप सब से विदा लेती हूं "धन्यवाद".

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