"आज नम आंखों से करेंगे मां को विदा" विजयदशमी का यह दिन और मां के चमत्कारों की कहानी





चैत्र नवरात्रि की दशमी तिथि को मां अपने ससुराल विदा हो जाती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां अपने मायका 9 दिन के लिए आती है और दसवें दिन वापस चली जाती है. यह दिन मां की विदाई का दिन है. इस दिन कलश विसर्जन किया जाता है. यह दिन भक्तों के पारण का भी दिन होता है. कलश विसर्जन करके और मां को विदा कर के भक्त पारण करते हैं. इस दिन विधि पूर्वक पारण किया जाता है. इस दिन माता विदा होकर सारे दुख कष्ट खत्म कर देती है.

भैंस पर सावर होकर विदा लेंगी माता रानी-

चैत्र नवरात्रि में मां की सवारी का भी विशेष महत्व बताया गया है. इससे वर्ष की स्थिति का भी अंदाजा लगाया जाता है. इस बार नवरात्रि पर मां दुर्गा की आगमन सवारी घोड़ा थी  लेकिन मां का गमन महिष यानि भैंस की सवारी से हो रहा है शास्त्रों के अनुसार जब मां भैंस पर सवार होकर विदा लेती हैं, तो रोग और रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है इसके साथ शोक, दुखों में भी वृद्धि होगी.

नवरात्रि के चमत्कार की कथाएं-

आपने बहुत कथाएं सुनी होगी माता रानी की कथा और सुना होगा उनके चमत्कार के बारे में मगर आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाती हूं. जो सच्ची घटना पर आधारित है, एक लड़की जिसके  पिता नहीं थे तो लड़की की मां ने, और उसका एक भाई ने, उसकी बड़ी धूमधाम से शादी की लड़के वालों ने जो भी कुछ मांगा, इकलौती बेटी और बहन होने के कारण जमीन बेचकर भी उनका विवाह कराया, वह लड़की जब ससुराल पहुंची तो कुत्तों की तरह उसके गहने छीन लिए, लेकिन फिर भी उस लड़की ने नई शादी में विवाद हो जाएगा, इसलिए उस लड़की ने कुछ भी नहीं कहा, फिर कुछ दिन में लड़का उस लड़की को, दूसरा शहर ले गया उस शहर में एक कोठरी में उसे रखा, जहां कोई खिड़की भी नहीं थी, फिर भी उसने उस घर को ही अपना घर समझा, लड़की का पति अपने भाई को कहता, कि देखो तुम्हारे लिए एक नौकरानी ले आया. अब इससे जितना मर्जी चाहे काम कराओ, लड़के का भाई जो उस लड़की का देवर था,  वह अपनी भाभी को  बहुत परेशान करता था, लेकिन फिर भी वह लड़की कुछ नहीं  बोलती थी, वह लड़की जब खाना बनाती थी तो वे लोग है हैवान की तरह कि 1 दिन में 40 रोटी खा जाते हैं.   फिर भी वह लड़की  कुछ नहीं कहती, लेकिन कुछ दिन बाद, फिर से उसे वही पैसों के लिए तंग करना शुरू किया, वहां उसके पास कपड़े भी दो थे पहनने के लिए, क्योंकि सारे कपड़े उनके ससुराल वालों ने ले लिए,  लड़की ने कहा कि अब वह अपने भाई से पैसे नहीं मांगेगी, तो उसे मारना पीटना शुरू कर दिया घर का एक-एक सम्मान उसके भाई ने उसे दिया और  उसके भाई ने उसे एक स्कूटी दी तो उसने चार चक्के गाड़ी की डिमांड की पर अब लड़की ने कहा, कि अब वह अपने भाई को नहीं कुछ बोलेगी, तो उसे बहुत मारा पीटा लड़के के परिवार वाले भी आकर उसे पीटते थे, मारते थे उस लड़की की ननंद उससे देखना भी नहीं पसंद करती थी, तथा उसे गंदी गंदी बातें अश्लील बातें कहती थी और उसका देवर जो मौका देखता था, उसे तंग करने के लिए और अश्लील हरकत भी करता था, लेकिन वह लड़की किसी तरह अपने आप को बचा लेती. फिर कुछ दिन बाद उसके पेट में एक नन्हीं सी जान पलने लगी और इसका पता लगने के बाद उन लोगों ने उसको मारने की कई साजिश कि, लेकिन कहते हैं ना “जाको राखे साइयां मार सके ना कोई" अपनी नन्हीं सी जान को बचाने के लिए, वह बहुत कोशिश करती थी, तीन चार रातों तक भूखी रही उसे डर था कि कहीं, उसके बच्चे को कुछ ना हो जाए और नवरात्रि का वह दिन था,  उस लड़की ने अपने बच्चे की रक्षा के लिए, नवरात्रि के दिन में उसने 9 दिन तक मां दुर्गा की  सच्चे मन से उनकी पूजा की, पर वह मां की  उपासना नहीं कर सकती थी, क्योंकि उसके पेट में एक नन्हीं सी जान पल रही थी, और कहते हैं मां दुर्गा ममतामई है, और मां सच में चमत्कार करती है, उस लड़की के साथ भी चमत्कार हुआ लड़की की कोई खबर ना मिलने के कारण, उनके मां और भाई घबरा गए उसकी मां उससे खोजने की बहुत कोशिश की, और ढूंढते ढूंढते एक दिन वह बिल्कुल विजयदशमी के दिन उनके घर आ गई, यह देख उस लड़की का पति आग बबूला हुआ, और उनको धक्के मार कर बाहर निकाला और उसकी बीवी जो लड़की प्रेग्नेंट थी उसे भी निकाल दिया, उसके निकलने के बाद जब वह हॉस्पिटल गई तो डॉक्टर ने कहा, आपने बिल्कुल सही वक्त पर इससे लाए हैं, उसके पेट में एक बच्चा पल रही है, अगर देर होती तो यह भी मर जाती और बच्ची भी, तो ऐसे देवी मां ने उस लड़की को उस राक्षसों से बाहर निकाला विजयदशमी का ही दिन था वह, माने उस लड़की को एक नई जिंदगी मिल गई, वह आज  एक नई जिंदगी जी रही है, उसको एक देवी मां की तरह बेटी हुई, लेकिन वह चुप नहीं बैठी है, उस लड़के को सजा देने के लिए अभी भी लड़ रही है, आज भी लोग पहले की तरह लड़कों को छोड़ लड़कियों में ही खोट निकाल रहे हैं, लेकिन फिर भी वह लड़की सब कुछ सहकर इंसाफ के लिए लड़ रही है. मैं देवी मां से फिर से प्रार्थना करती हूं , उस लड़के को कड़ी से कड़ी सजा मिले, और मुझे विश्वास है उस लड़की को इंसाफ मिलेगा, तो यह थी  मां के चमत्कार की कहानी, इस कहानी से मेरी श्रद्धा माता पर और भी ज्यादा हो गई, तो, आज दशमी के दिन मां को हम सच्चे मन से और नम आंखों से विदा करते हैं.

 या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


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