जुड़ शीतल यह सबसे खास पर्व है. हमारे मिथिलांचल मै कहते हैं संस्कृति चाहे कोई भी हो पर श्रृंगार हमारी परंपरा होती है. जुड़ शीतल पर हमारे मिथिलांचल में बहुत अच्छे से मनाया जाता है. यह पर्व वैशाख मास की शुरुआत मै मनाया जाता है. जुड़ शीतल 2 दिन का पर्व है, जो 14 अप्रैल और 15 अप्रैल 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन को मिथिलांचल में नव वर्ष माना जाता है. जुड़ शीतल मैं जुड़ शब्द जुड़ाव से बना है. जुड़ शीतल पर्व का पहला दिन 14 अप्रैल के दिन सत्तू पर्व मनाने के बाद शाम को यह पर्व शुरू हो जाता है. इस दिन शाम को कड़ी-चावल सहजन की सब्जी, कच्चे आम की चटनी, पकोड़े आदि बनते हैं, और दूसरे दिन 15 अप्रैल को यह बासी खाना खाया जाता है. जिससे हमारी भाषा मे टटका खाना कहते हैं, जिसको टटका पावैन कहते हैं. 15 अप्रैल की सुबह हमारे बड़े बुजुर्ग बच्चों के माथे पर, ठंडा पानी को हाथों से तीन बार डालते हैं, और जुड़े रहने का, फलने फूलने का आशीर्वाद देते हैं. फिर स्नान करके चूल्हा पूजन किया जाता है, उसके साथ ही चौखट, दरवाजा हर जगह खाने का भोग लगाया जाता है, इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता और चूल्हा की पूजा की जाती है, फिर बासी खाना एवं टटका खाना का चूल्हे को भोग लगाकर ही खाया जाता है. लोक प्रथा की मान्यताएं के अनुसार, यह पर्व इसलिए भी मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन फसल की देवी और भगवान के प्रति आभार प्रकट करने और भरपूर बारिश और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना की जाती है.
हर त्योहार अपने में अद्भुत होती है और यह जुड़ शीतल भी अपने आप में एक अद्भुत पर्व है, इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराना बहुत ही उत्तम माना जाता है. इस दिन के दान को बहुत ही शुभ माना गया है. शास्त्रों में कहा गया है, इस दिन जो लोग दान करते हैं, उन्हें कभी आर्थिक तंगी से नहीं गुजरना पड़ता, और कष्ट मुक्त हो जाते हैं.
जुड़ शीतल में बासी खाना अथवा टटका खाना प्रसाद के रूप में खाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह भोजन अथवा प्रसाद खाने से सारे रोग और कष्ट से मुक्ति मिलती है, तथा पित्त की बीमारी भी नहीं होती है. जुड़ शीतल के दिन ठंडा बासी खाना खाने से गर्मी में लू नहीं लगती.जुड़ शीतल पर्व सबसे शीतल और खास पर्व है जिसे हम सब मिथिला वासी नव वर्ष की खुशी में मनाते हैं यह पर्व हम अपने परिवार के साथ खुशी खुशी मनाते हैं.
मेरी तरफ से आप सब मिथिला वासी के परिवार को नव वर्ष की शुभकामनाएं.