हनुमान जयंती- एक चुटकी सिंदूर से ही खुश हो जाते हैं हमारे हनुमान जी


 हनुमान जयंती हिंदू का सबसे खास पर्व है. इस पर्व का बहुत ज्यादा महत्व है. यह पर्व चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को 16 अप्रैल शनिवार को मनाया जाएगा. हर वर्ष इसी माह में हनुमान जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान बजरंगबली एवं हनुमान जी का जन्म हुआ था. हनुमान जी की पूजा  भक्त पूरे विधि विधान से करते हैं. भगवान बजरंगबली दुखहर्ता है, भक्त अगर सच्चे मन से उनकी आराधना करें तो वह अपने भक्तों की सारी कष्ट हर लेते हैं, इनकी कृपा से भक्त भयमुक्त हो जाते हैं और संकट दूर कर देते हैं, इसलिए इनका नाम संकटमोचन भी है. देशभर में हनुमान जयंती बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और उनके मंदिरों को भव्य सजाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी एक चुटकी सिंदूर से ही खुश हो जाते हैं और सारी समस्याएं दूर करते हैं.

रामायण काल में भगवान राम के सहयोग के लिए रुद्रावतार के रूप हनुमान जी का जन्म हुआ था. भगवान राम जी श्री विष्णु जी के अवतार थे उन्होंने धरती पर जन्म बुराई को अंत करने के लिए और रावण का अंत करने के लिए लिया था, जिसमें हनुमान जी उनके सहायक बने, हनुमान जी को शिव जी का भी अंश माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और भगवान शिव को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त करने का वर मांगा था. तब भगवान शिव ने पवन देव के रूप में अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित किया, और वही शक्ति अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई थी.  हनुमान जी भगवान शिव के 11 वे रुद्र अवतार है.

हनुमान जी की आराधना एवं भोग

हनुमान जी के नाम लेने से ही कष्ट दूर हो जाते हैं, कहा जाता है की हनुमान जी की पूजा करते वक्त ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए, हनुमान जी को बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय है, इसलिए पूजा में  बूंदी के लड्डू शामिल होना अति उत्तम रहेगा हनुमान जी अखण्ड ब्रह्मचारी और महायोगी हैं, इसलिए सबसे जरूरी बात ये है कि, उनकी किसी भी तरह की पूजा में वस्त्र से लेकर विचारों तक पावनता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं.


राम भक्त हनुमान  कथाएं

हनुमान जी की श्री राम के प्रति भक्ति पूरे विश्व भर में प्रचलित है, रामायण कथा के अनुसार जब रावण माता सीता को अपनी पटरानी बनाना चाहता था, तो उसने माता सीता का हरण कर लंका ले गया और उन्हें अपनी महल में ना रखकर अशोक वाटिका में रखा, क्योंकि रावण माता सीता को बलपूर्वक पटरानी नहीं बना सकता था, इसका कारण यह था की रावण को श्राप था, कि वह बलपूर्वक किसी भी स्त्री से संबंध नहीं बना सकता, अगर रावण ने ऐसा किया तो उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे, इसलिए रावण ने माता सीता को अशोक वाटिका में अलग रखा और उन्हें हमेशा अपनी पटरानी बनने के लिए राक्षसी के द्वारा सताया करता था. जब हनुमान जी ने सागर पार कर सीता जी की खोज की थी और सीता जी को अपने साथ ले जाने के लिए भी कहा, मगर सीता मैया भगवान राम को युद्ध करके रावण का वध कर उन्हें ले जाने के लिए कहा, हनुमान जी उनकी बात मान गए, लेकिन लंका से वापस जाते उन्होंने पूरी लंका जला दी, बाद में भगवान राम ने रावण से युद्ध किया इस युद्ध में लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए, तो स्वयं हनुमान जी उनके लिए संजीवनी बूटी लेने गए, पर उन्हें संजीवनी बूटी पहचान नहीं होने के कारण, वह संजीवनी पहाड़ लेकर आए और लक्ष्मण जी ठीक हो गए. आखिर मैं भगवान राम युद्ध कर रावण का वध किया और माता सीता को वापस अयोध्या ले गए.

लाल देह कथाएं

हनुमान जी की एक और कथाएं बहुत ज्यादा प्रचलित है, यह कथा श्री राम के प्रति हनुमान जी की भक्ति को दर्शाता है, एक बार माता सीता श्रृंगार कर रही थी, तब वहां हनुमान जी आ गए, माता सीता को श्रृंगार करते देख वह वही उनकी प्रतीक्षा करने लगे, तब हनुमानजी ने देखा माता सीता लाल रंग की सिंदूर अपने माथे पर लगा रही है, हनुमान जी ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा कि, “हे माता आप यह लाल रंग अपने मस्तक पर क्यों लगा रहे हैं” तो माता-पिता ने कहां कि, यह मेरे स्वामी श्री राम जी के प्रति मेरा प्रेम है, जो मैं मस्तक पर सजा रही हूं, इसके कारण मेरे स्वामी मुझे बहुत प्रेम करते हैं और इस सिंदूर से उनकी आयु भी बढ़ती है, यह सुन हनुमान जी ने सोचा माता के सिंदूर लगाने से स्वामी उन्हें बहुत प्रेम करते हैं और उनकी आयु भी बढ़ती है, तो क्यों ना मैं भी यह सिंदूर पूरे शरीर में लगाऊं इससे मेरे आराध्य श्री राम की आयु भी बहुत अधिक बढ़ जाएगी और उनका प्रेम भी. हनुमान जी ने अपना पूरा शरीर सिंदूर से रंग लिया और राम जी के पास चले गए, सभी लोग हनुमान जी पर हंसने लगे और राम जी ने इसका कारण पूछा तो, हनुमान जी ने कहा कि जैसे माता सीता अपने माथे पर सिंदूर लगाती है, और आपकी आयु बढ़ जाती है, और आपका स्नेह उनके लिए और भी गहरा हो जाता है, वैसे ही मैंने सिंदूर पूरा शरीर रंग लिया, ताकि आप अमर हो जाए, और आपका स्नेह प्राप्त कर सकूं. यह देख राम जी बड़े प्रभावित, भाव विभोर हो गए और उन्हीं गले से लगा लिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनको लाल देह के रूप में पूजा जाएगा और तब से जो व्यक्ति हनुमान जी पर सिंदूर चढ़ाते है, तो वह अधिक प्रश्न हो जाते हैं और उन पर कृपा करते हैं.

हनुमान जी के सीने में श्री राम और माता सीता बस्ती है

यह हम सभी को पता है कि, हनुमान जी के सीने में श्री राम और माता सीता बस्ती है, और हनुमान जी ने खुद अपना सीना चीर कर लोगों को दिखाया भी है. हनुमान जी की भक्ति किसी भी भक्तों से संभव नहीं हो सकती इसलिए वह सबसे सर्वश्रेष्ठ हैं.

“जय श्री राम”

 'ॐ हं हनुमते नम:' 


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