अक्षय तृतीया जो हमारे भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. अक्षय तृतीया इस बार मंगलवार रोहिणी नक्षत्र योग में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 3 मई 2022 को मनाया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया मनाने का यह इस शुभ योग 50 साल बाद आया है. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है. अक्षय तृतीया के दिन सारे समंगल कार्य संपन्न किए जाते हैं. इस दिन कोई भी कार्य करना बहुत शुभ और अक्षय फल देने वाला माना जाता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त देखे सारे कार्य संपन्न किए जाते हैं.
अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी करना शुभ माना गया है, कहा गया है इस दिन सोने की खरीदारी करने से 10 गुना लाभ होता है, सोना नहीं खरीद सकते, अन्न जरूर खरीदें क्योंकि इस दिन देवी अन्नपूर्णा माता का जन्म हुआ था इसलिए अन्न की खरीदारी करना शुभ माना गया है, इस दिन कौड़ी, शंख, घड़ा आदि खरीदना से कुबेर भगवान की विशेष कृपा होती है, और इस दिन दान करना बहुत ही ज्यादा शुभ माना गया है, दान करने से इंसान का कर्म शुद्ध होता है, मन में शांति और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, जो भगवान विष्णु के अवतार थे, और त्रेता युग का आरंभ भी हुआ था इसलिए अक्षय तृतीया के दिन सारे किए हुए शुभ कार्य जैसे स्नान, दान, जप, होम, स्वाध्याय, तर्पण आदि कर्म करने से वे सब अक्षय हो जाते हैं, तथा पापों का नाश होता है और जीवन सुखमय हो जाता है, और इसका पुण्य आपको अगले जन्म में भी प्राप्त होता है, लेकिन अक्षय तृतीया के दिन अगर अधर्म कार्य करते हैं, तो इसका फल बहुत हानिकारक होता है अक्षय तृतीया को अखा तीज भी कहा जाता है इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराना कल्याणकारी हो रहा है.
प्रचलित कथा
अक्षय तृतीया की एक बड़ी ही प्रचलित कथा है, प्राचीन काल में धर्मदास नामक एक वैश्य था, अनेक रोगों से ग्रसित और वृद्ध होने बाद भी उसने अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान करके विधि पूर्वक देवी देवता की पूजा की, और तत्पश्चात ब्राह्मणों को सम्मान किया और उन्हें स्वर्ण, अनाज, वस्तुएं दान किए और ब्राह्मण को खुशी खुशी विदा किया, हर अक्षय तृतीया पर वह व्रत पूजा और ब्राह्मणों को दान किया करता था, जिसकी वजह उसका अगला जन्म एक प्रतापी राजा के रूप में हुआ, जो धार्मिक विचार वाला और वैभवशाली बना पिछले जन्म का किया हुआ अक्षय पुण्य, उसे अगले जन्म में राजयोग प्राप्त हुआ. इसलिए कहा जाता है कि अक्षय तृतीया पर पूजा अर्चना दान दक्षिणा करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है, तथा अगला जन्म भी सफल रहता है.
सामान्य ज्ञान
कहते हैं भगवान सिर्फ प्रेम के भूखे हैं, वह सब कुछ देकर भी वे सिर्फ हम सब से भक्ति और प्रेम चाहते हैं, इसलिए पूजा के नियम के बहाने हम भक्त सब उनके साथ रहना चाहते हैं. बहुत लोग समर्थ नहीं होते पूजा करने के नियमों का पालन करने में, लेकिन अपनी भक्ति के लिए पूरा समय देते हैं, भगवान हम सब की भक्ति देखते हैं, प्रेम देखते है, जिनकी उनको चाहत है, तो मेरे दोस्त यह मत समझिए कि हम समर्थ नहीं है, यह सोचिए कि हमारी भक्ति की शक्ति से बड़ी कुछ भी नहीं, हमें भगवान ने जो कुछ भी दिया है, हमारी अच्छे कर्मों की वजह से ही मिला है, अगर हम लाचार लोगों की मदद करेंगे, गरीबों की मदद करेंगे, भूखे को खाना खिलाएंगे, तो हमारा कर्म अच्छा होगा और हमें पुण्य मिलेगा.