करवा चौथ विशेष संयोग लक्ष्मी नारायण योग में पति पत्नी के संबंध मधुर होंगे

                                       करवा चौथ


कार्तिक मास का पहला व्रत करवा चौथ होता है| जो की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है| इस बार करवा चौथ 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ रही है। वहीं इस दिन कई विशेष संयोग बन रहे हैं। जिसमें से सबसे शुभ संयोग है लक्ष्मी- नारायण योग। ज्योतिष अनुसार इस योग में पूजा करने से पति- पत्नी के बीच संबंध मधुर रहते हैं इस बार करवा चौथ का पूजन रोहिणी नक्षत्र में होगा.

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है,और शाम के समय करवाचौथ कथा पढ़ती हैं और पूजा की जाती है. रात के समय चंद्रोदय से पहले गणेश जी, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है,और रात में चांद को अर्घ्य देने के बाद ही पति का चेहरा देखकर, उनके हाथों से जल ग्रहण करके ही व्रत खोलती है.  पत्नियां अपने पतियों के लिए आरोग्यता और दीघार्यु की कामना कर इस व्रत को रखती है|

करवा चौथ शुभ मुहूर्त

 चांद रात रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा करना शुभ फलदायी माना गया है। आपको बता दें कि वैदिक पंचाग के अनुसार करवाचौथ के दिन शाम में रोहिणी नक्षत्र 6 बजकर 41 मिनट पर आरंभ हो रहा है। इसलिए इस समय के बाद ही पूजा करना शुभ रहेगा। जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष है या चंद्रमा नीच राशि में विराजमान हैं, वो लोग भी इस नक्षत्र में चंद्रमा की विशेष पूजा कर सकते हैं।

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि 

करवा चौथ के दिन सुबह उठकर सास द्वारा दी गई  सरगी का सेवन किया जाता है, और उसके बाद स्‍नान करके घर के सभी बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर व्रत का आरंभ किया जाता है। करवा चौथ का व्रत पूरे दिन निर्जला किया जाता है, और उसके बाद शाम के समय प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है, और तुलसी के समक्ष बैठकर करवा चौथ के व्रत की विधि विधान से पूजा की जाती है। चांद निकलने से पहले थाली में धूप-दीप, रोली, अक्षत, पुष्‍प और मिठाई रख लें। करवे में अर्घ्‍य देने के लिए जल भर लें और फिर चांद निकलने के बाद अर्घ्‍य देकर छलनी से पति का चेहरा देखकर व्रत तोड़ लें।

बन रहा है विशेष संयोग

ज्योतिष के अनुसार इस समय शनि, बुध और गुरु अपनी स्वराशि में स्थित हैं। सूर्य और बुध भी एक साथ विराजमान हैं। जिससे बुधादित्य योग का भी निर्माण हो रहा है। वहीं लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण भी हो रहा है। इस योग के बनने से पति-पत्नी का आपसी संबंध और विश्वास मजबूत होगा। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे। जिससे की गई प्रार्थना शीघ्र स्वीकार होगी


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