वाणी मनुष्य के जीवन में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. आप कैसी वाणी बोलते हैं मीठा या कड़वा, मीठी वाणी सबको प्रिय लगती है, उसे सुनकर इंसान वशीभूत हो जाता है, लेकिन कठोरता भरी वाणी इंसान के दिल को छल्ली कर देती है. हमारे सतयुग में वाणी पर नियंत्रण रखते थे, हमेशा मीठी वाणी बोलते थे, कठोरता भरी वाणी श्राप मे बदल जाती थी. वाणी मैं इतनी ताकत होती है, कि वह मनुष्य की जिंदगी बदल देता है.
हमारे सतयुग के पूर्वज इतने सिद्ध थे उनके मुंह से निकली वाणी, हमेशा सत्य होती थी. इसलिए उनकी वाणी हमेशा सत्य होती थी, मगर उनकी मुंह से निकली कठोरता भरी वाणी श्राप में बदल जाती थी, और इसको फलित करने के लिए भगवान को अवतार लेना पड़ता था, पर कलयुग मै भगवान का अवतार लेना नामुमकिन है, क्योंकि कलयुग में मनुष्य के अंदर कठोरता भरी होती है, वह हमेशा अपनी वाणी को तलवार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, उन्हें जिन पर गुस्सा आता है, वह अपनी कठोरता भरी वाणी से तीर की तरह उनके दिल को छल्ली करना चाहते हैं. मगर कलयुग की वाणी कभी फलित नहीं होती हमारे सतयुग में भगवान ने यह समझ लिए थे कि कलयुग के लोगों की वाणी कभी नियंत्रण नहीं रह सकती, इसलिए उन्होंने हमें इतनी शक्ति नहीं दी है जिससे हमारी कठोरता भरी वाणी सत्य हो जाए. कलयुग में कुछ लोग मै हमेशा हिंसा, घृणा प्रवृत्ति के होते हैं, कलयुग के लोग हमेशा दूसरों को भला बुरा कहते हैं, वह हमेशा लोगों को अपनी वाणी से गाली, श्राप निकालते रहते हैं. ताकि, उनकी वाणी फलित हो जाए, मगर कलयुग में जो इंसान किसी का बुरा करें, और अपने अंदर दूसरों के लिए गलत भावना रखें, उसकी वाणी कभी फलित नहीं होती. जिस इंसान का कर्म अच्छा हो, उसको कहे जाने वाले कठोरता भरी वाणी कभी फलित नहीं होती.
उदाहरण के रूप में आप खुद अपने घर में देखें की आपने किसी का कभी बुरा नहीं किया, लेकिन फिर भी आपके बारे में बुरा सोचने वाले बहुत लोग हैं, शायद वह अपनी वाणी से आपको गलत भी कहते हैं, लेकिन आपको कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि आपको पता है कि आपका कर्म बहुत अच्छा है, चाहे आपके बारे में लोग कुछ भी सोचे, आपको पता है कि आप बहुत अच्छे है, आप कभी भी अपनी वाणी को खराब नहीं कीजिए, कहने वाले बहुत कुछ कहते हैं, मुझे ही देख लीजिए मेरी जिंदगी में परेशानी कम नहीं है, लेकिन आज तक मैंने किसी को बुरा भला नहीं कहा है, लेकिन कुछ लोगों की आदत होती है बोलने की ताकि दूसरा व्यक्ति भड़के, मगर मैं ऐसी नहीं हूं. मैं अपनी वाणी खराब नहीं करना चाहती, इसलिए उन्हें, एक प्यारी सी स्माइल देकर गाना गाने लगती हूं, और वह सिर्फ बोलते ही रह जाते हैं.
"ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये,
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए"
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