लता दीदी आप बहुत याद आओगे

                      मेरी आवाज ही पहचान है


आज हम बात कर रहे हैं, उस सरस्वती माता की जो लता दीदी के रूप में हमारे साथ थी, लता मंगेशकर जी  संगीत की दुनिया का एक अहम हिस्सा है, उनकी आवाज हर किसी की जुबान पर गूंजती है. उनकी आवाज में ऐसा जादू है कि सुनने वाले उनके संगीत में खो जाए, "मेरी आवाज ही पहचान है" बस अपनी आवाज की पहचान छोड़ लता दीदी हम सब को छोड़ गई. भारत रत्न और स्वर कोकिला अउरी क्वीन ऑफ मेलोडी कहलाने वाली लता दीदी 28 सितंबर 2021 को अपना आखिरी 92 वां जन्मदिन  मनाया था. लता दीदी ने अनेक भाषा में गाना गाए हैं, उन्होंने हजारों से भी ज्यादा फिल्में में गाना गाए हैं, दीदी ने 36 देसी और विदेशी भाषाओं में लगभग 25 हजार से ज्यादा गीत गाए. लता दीदी के जाने से संगीत की दुनिया सूनी पड़ गई और सभी  के दिलो मै अपनी आवाज की स्मृति छोड़ हम सब को छोड़ गई और अमर हो गई.

लता दीदी 8 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थी, इसका कारण दुनिया की जनगणना को कम करने वाला करोना के महामारी उन्हें भी अपना शिकार बना लिया था, वैसे करोना काल में वह 2 साल तक कहीं बाहर नहीं निकली, उनके घर के एक स्टॉफ मेंबर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका टेस्ट कराया गया था जिसमें उनका करोना रिपोर्ट पॉजिटिव आया, करोना महामारी से बचने के बाद उन्हें निमोनिया हो गया फिर लगभग 29 दिन तक मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के ICU में थीं. 4 से 5 दिन पहले  उनकी तबीयत ठीक रही थी, लेकिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और 6 फरवरी को वह हम सब को अलविदा कह गई, लता दीदी सरस्वती माता का अवतार थी, इसलिए जिस  दिन माता सरस्वती की विदाई का दिन होता है, उसी दिन लता दीदी भी हम सब से विदा हो गई,  उनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी. 


लता दीदी का जन्म 28 सितंबर 1929 इंदौर में हुआ. लता दीदी अपने माता पिता की सबसे बड़ी संतान थी, उनके पिता जी दीनानाथ मंगेशकर मराठी थिएटर के प्रसिद्ध अभिनेता और गायक, संगीतकार थे और माता जी उनकी माँ शेवन्ती एक बड़े गुजराती सेठ की बेटी थीं. लता जी के बचपन का नाम हेमा था, बाद में उनके पिता ने अपने नाटक के एक किरदार लतिका के नाम पर लता रखा, लता दीदी की तीन बहने और है मीना खाडिकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और एक छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर है. एक बार लता दीदी अपनी छोटी बहन आशा जी के साथ स्कूल गई, टीचर ने आशा जी को कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी इससे लता को गुस्सा आ गया और वे फिर कभी स्कूल नहीं गईं 1942 में उनके पिता की मृत्यु हो गई, तब लता दीदी 13 वर्ष की थी,लता दीदी पर परिवार का भार आ गया, लता दीदी के नजदीकी लोगों ने लता का करियर गायिका और अभिनेत्री के रूप में संवारने के लिए मदद की. लता दीदी के गीत "ए मेरे वतन के लोगों" को सुनकर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के आंखों में आंसू आ गए, इस गीत को सुनकर खुद को नहीं रोक पाए और लता से एक बार दोबारा इस गीत को गाने को कहा यह गाना उन सैनिकों के याद में गाया गया था जो 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हो गए थे.


भारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर का मुंबई के शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान के साथ रविवार को अंतिम संस्कार किया गया. उन्हें उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दी. इस मौके पर हज़ारों चाहने वाले और लता दीदी के परिवार के सदस्य वहां पर मौजूद रहे. फिल्मी दुनिया से लेकर राजनीतिक और खेल जगत की हस्तियां भी लता दीदी के अंतिम संस्कार में शामिल हुईं. लता दीदी के निधन पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी समेत तमाम नेताओं ने अपना दुख व्यक्त किया. पीएम नरेंद्र मोदी जी ने मुंबई के शिवाजी पार्क मै लता दीदी को श्रद्धांजलि दी, मुंबई के हजारों लोग लता दीदी को अंतिम विदाई देने सड़कों पर उतर आए. उनका पार्थिव शरीर फूलों से सजे सेना के ट्रक में रखकर शिवाजी पार्क लाया गया था. बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान इसके अलावा सचिन तेंदुलकर, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, राज ठाकरे, पीयूष गोयल समेत कई हस्तियां वहां मौजूद हैं, अमिताभ बच्चन, श्वेता बच्चन नंदा श्रद्धा कपूर, अनुपम खेर, जावेद अख्तर लता मंगेशकर के आवास पर पहुंचे. देशभर के लोगों की आंखे नम कर भारत रत्न लता मंगेशकर दीदी हमेशा के लिए अनंत में विलीन हो गईं.

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